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Monday 19 March 2012

' बदनाम औरतों के नाम प्रेमपत्र '


                 1.

रात गये    
इनकी देह में फूलता है हरसिंगार
जो सुबह
एक उदास सफेद चादर में तब्दील हो जाता है.

इनके तहखानों में
पनाह लेते हैं
उन कुलीन औरतों के स्वप्न-पुरुष
जिनकी बद् दुआओं को
अपने रक्त से पोषती हैं ये.

इनकी कमर और पिण्डलियों में
कभी दर्द नहीं होता
और कंधे निढाल नहीं होते थकान से.
इनके स्तनों पर
दाँत और नाखूनों के निशान
कभी नहीं पाये गये.

पढ़े लिखे होने का कोई भी
सबूत दिए बगैर
वे अपने विज्ञान को
कला में बदल देती हैं.

ये आज भी
दस बीस रुपये मे
बाज़ार करके लौट आती हैं
भगवान जाने
इनके चाचा दाई और जिज्जी की
दूकानें कहाँ लगती हैं

अपने जन्म की स्मृतियों का
ये कर देती हैं तर्पण
और मृत्यु के बारे में 
इसलिए नहीं सोचतीं
कि हर चीज़ सोचने से नहीं होती.

प्रेम मृत्यु है
इन बदनाम औरतों के लिए.

                   2.

इतिहास के अंतराल में कहीं
होती है इनकी बस्ती
जहाँ सभ्यताओं की धूल
बुहार कर जमा कर दी गई है.

इनके भीतर हैं
मोहन जोदड़ो और हड़प्पा के ध्वंस
पर किसी पुरावेत्ता ने
अब तक नहीं की
इनकी निशानदेही.

इन औरतो की
अपनी कोई धरती नहीं थी
और आसमान पर भी नहीं था कोई दावा
इसीलिए इन्होंने नहीं लड़ा कोई युद्ध.

कोई भी सरकार चुनने में
इनकी दिलचस्पी इसलिए नहीं है
कि सरकारें
न तो जल्दी उत्तेजित होती हैं
और न जल्दी स्खलित !


11 comments:

पुरुषोत्तम पाण्डेय said...

ये हमारे सभ्य समाज का कटु सत्य है.आपने सरल शब्दों में उकेरा है.

Vipul said...

प्रेम मृत्यु है/इन बदनाम औरतों के लिए......... कोई भी सरकार चुनने में/इनकी दिलचस्पी इसलिए नहीं है/कि सरकारें/न तो जल्दी उत्तेजित होती हैं/और न जल्दी स्खलित !....क्या लिखू, क्या कहूँ.... विमलेंदु आपकी यह कविता शर्मिंदा कर गई... गोया उन बदनाम औरतों से कोई रिश्ता जुड़ गया हो... एक इंसानियत का रिश्ता.... किन्तु उस इंसानियत के रिश्ते को भी स्वीकार नहीं किया जा सकता.... बस इसी बात के लिए तुम्हारी इन बदनाम औरतों ने शर्मिंदा कर दिया.... हर लिहाज से उत्तम कविता है।

Onkar said...

bahut prabhavshali rachna

Roshi said...

bahut sarthak ,,,,,,satya ,bhav ki rachna

lalitya lalit said...

sunder abhivyakti.badhai
lalitya lalit

rajubhai said...


This is perfect true and only that how much we are Impotent. As we have all sense but we will happy and define as we are not in sense.

ANULATA RAJ NAIR said...

आह....
बहुत खूब....

अनु

अरुण अवध said...

बहुत अच्छी कवितायेँ ...हिला देने वाली संवेदना !

Tejraj Gehloth said...

निशब्द कर दिया भाई ,सत्य का बेजोड चित्रण

Jyoti khare said...

इन औरतो की
अपनी कोई धरती नहीं थी
और आसमान पर भी नहीं था कोई दावा
इसीलिए इन्होंने नहीं लड़ा कोई युद्ध.----adbhut nihshabd

धीरेन्द्र अस्थाना said...

वास्तविकता यही है बन्धु!