Friday, 20 May 2011
अति सर्वत्र वर्जयेत...!
क्रिकेट की अति हो गयी है.पिछले चार महीनों में इतना क्रिकेट हो गया है कि पेट फूल गया.फिर इस T20 ने तो इस कलात्मक खेल का ऐसा सत्यानाश किया है कि क्या कहें...जैसे एक सुन्दर लाजवंती नारी को बार-बाला बना दिया हो. क्रिकेट के रस और रोमांच की जगह एक ऐसी ऊब भर गयी है जिससे उबरने में बहुत समय लगेगा. इसखेल का सारा सौन्दर्य ही खत्म कर दिया इस नामुराद T20 ने.बल्ले और गेंद की वो रोमैन्टिक कशमकश कहीं दिखाई ही नहीं पड़ती..और खिलाड़ियों की वो अदाएँ भी पकड़ में नहीं आतीं, जिन पर अंजू महेन्द्रुएँ, नीना गुप्ताएँ, ज़ेमिमाएँ,नगमाएँ,दीपिकाएँ फिदा हो जाया करती थीं...अब गेंद या तो गेंदबाज़ के हाथ मे दिखती है या बाउण्ड्री की तरफ भागती हुई...और बल्ला तो ऐसे चलता है जैसे धोबी की मोगरी...बल्ले की सारी मांसलता ही ओझल हो गयी है....और चीयर लीडर्स की मांसलता को कोई कौड़ियों भाव नहीं पूछ रहा है...बस यही है कि--दे दनादन..ले धनाधन..!!
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सामयिक
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