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Saturday, 18 June 2011
शिखर की चिन्ता..
अगर आप अपने अंतरंग संबंधों मं शिखर को प्राप्त कर पाने में असफल भी हो जा रहे हैं तो चिन्ता मत करिये...यात्रा भी उतनी ही सुखदायी हो सकती है जितनी मंज़िल...कभी-कभी तो इससे भी अधिक....बस आपमें चलने का सलीका और शऊर होना चाहिए !
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