यह मुक्ति का अनन्त था
जहां हम
मुक्त हुए
एक दूसरे के लिए
एक दूसरे में मुक्त हुए.
यह सीमान्त के बाद की यात्रा थी
जहां हमने
काल का अतिक्रमण किया था.
हम नाविक थे
हमें,
नदी की विलीन धारा को
समुद्र के भीतर खोजना था.
उपनिषद आरण्यक और स्मृतियां
हमारा पीछा कर रहे थे
इन्द्र फिर गया ब्रह्मा के पास
इस दुर्गम पथ के
अथक सहयात्री !
यह मुक्ति के अनन्त में
एक छन्द की शुरुआत थी !
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