Pages

Friday 22 April 2011

अर्ध रात्रि का कौतुक


एक दिन के ब्रेक के बाद कुरुक्षेत्र में फिर कौरव-पांडवो की सेनाएं आमने-सामने आ डटीं थीं...छुट्टी वाले दिन अर्जुन शिविर से अपने महल चले गए थे...पांचाली भी अत्यंत आतुर लगी थी अर्जुन को....
लौटकर युद्ध फिर शुरू हुआ...लेकिन आज अर्जुन का एक भी तीर निशाने पर नहीं लग रहा था....कृष्ण यह देख कर अचम्भित हो रहे थे....उन्होंने रथ को मोड़ा और एक शिला के पास ले आये.....

श्रीकृष्ण उवाच्--हे दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर ! आज तुम्हें क्या हो गया है ?! आज तुम्हारे तीर निशाने पर क्यों नही लग रहे हैं ? कर्ण को मारने के चक्कर में तुम चार कुत्तों और सात कौओं के प्राण हर चुके हो...कदाचित गुरु द्रोण ने तुम्हें कुत्तों और कौओं पर ज़्यादा ही प्रैक्टिस करा दी थी.....बताओ पार्थ ! तुम आज इतने खिन्न क्यों दिख रहे हो ?

अर्जुन उवाच्--क्या बताएं केशव , बात कुछ 'अन्दर'की है....

श्रीकृष्ण उवाच्--हे कौन्तेय , अन्दर-बाहर सब जगह मैं ही हूँ, तुम नि:संकोच होकर बताओ...

अर्जुन उवाच्---हे माधव , कल अवकाश था तो मैं महल चला गया था. पांचाली भी बड़ूी व्यग्रता से प्रतीक्षा कर रही थी..गांधार की 'द्राक्षा ' से बने आसव का पूरा एक चशक ही उसने मगा लिया था...आसव का पान कर हम दोनों आलिंगनबद्ध हो गये थे....रोम परस्पर संघर्षरत थे...रात्रि मंथर गति से आगे बढ़ रही थी ..कि सहसा पांचाली ने कहा--" प्रिय भीम , आज तुम्हारी भुजाओं में वह कसावट नहीं महसूस हो रही है, जो मेरे पोर-पोर की पीड़ा को हर लेती थी..." .....बस माधव , मेरे ऊपर जैसे वज्रपात हो गया हो ! मैं उसी क्षण शिविर में वापस आ गया था....तभी से कुछ सुहा नहीं रहा है.....

श्रीकृष्ण उवाच्--हे पार्थ , बात गंभीर है पर इतनी भी नहीं...फिकर नॅाट करो....अज्ञातवास के समय तुमने ' बृहन्नला ' का जो रूप धरा था , उसकी कुछ प्रवृत्तियां तुममें अभी भी उपस्थित हैं...ये प्रवृत्तियाँ स्त्रियों को विकर्षित करती हैं....और फिर भीम का डील-डौल तो है ही अच्छा....ऐसा करना पार्थ कि अगली बार जब अवकाश पर जाना तो काशी के पान में सात फूल लौंग डाल के ले जाना और पांचाली को खिला देना...फिर देखना पांचाली का कौतुक...!...एकदम अचूक नुस्खा है गुरू...!! ( इतना कहकर श्रीकृष्ण ने अपनी दायीं आँख दबा दी )

3 comments:

nirupma said...

आप का ब्लॉग देखते वक्त शब्दों की गठरी बगल में रखनी चाहिए पढने के बाद निकाल कर बस टांकते जावो सितारों की तरह ..

Kanchan Lata Jaiswal said...

gajab hai nuskha..................

***Punam*** said...

...::)))))