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Friday, 15 March 2013

हवा ने पेड़ से प्रेम किया


हवा ने पेड़ से प्रेम किया

और मुक्त हो गई.

सूरज ने आग से प्रेम किया 
और मुक्त हो गया.

चन्द्रमा बर्फ से
प्रेम करते हुए मुक्त हुआ.
सुमुद्र पानी के प्रेम में इतना फैला.

तुमने मुझसे प्रेम किया
और मुझे
कभी पेड़ आग बर्फ
फिर पानी बनाती रहीं.

इस तरह
तुम्हें मुक्ति मिली नहीं
और मैने भी
आवर्त सारिणी के बाहर
मैन्डलीफ के कॉल को
रिजेक्ट कर दिया है ।

1 comment:

Onkar said...

बहुत सुन्दर रचना